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Showing posts from February, 2023

The Spirit of Uttarakhand’s Igas "Let’s Celebrate Another Diwali "

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  चलो मनाएं एक और दिवाली: उत्तराखंड की इगास    एक दिवाली की जगमगाहट अभी धुंधली ही हुई थी कि उत्तराखंड के पारंपरिक लोक पर्व इगास की चमक छाने लगी है। असल में यही गढ़वाल की दिवाली है जिसे इगास बग्वाल/ बूढ़ी दिवाली कहा जाता है। उत्तराखंड में 1 नवंबर 2025 को एक बार फिर से दिवाली ' इगास बग्वाल' के रूप में दिखाई देगी। इगास का अर्थ है एकादशी और बग्वाल का दिवाली इसीलिए दिवाली के 11वे दिन जो एकादशी आती है उस दिन गढ़वाल में एक और दिवाली इगास के रूप में मनाई जाती है।  दिवाली के 11 दिन बाद उत्तराखंड में फिर से दिवाली क्यों मनाई जाती है:  भगवान राम जी के वनवास से अयोध्या लौटने की खबर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में 11वें दिन मिली थी इसलिए दिवाली 11वें दिन मनाई गई। वहीं गढ़वाल के वीर योद्धा माधो सिंह भंडारी अपनी सेना के साथ जब तिब्बत लड़ाई पर गए तब लंबे समय तक उनका कोई समाचार प्राप्त न हुआ। तब एकादशी के दिन माधो सिंह भंडारी सेना सहित तिब्बत पर विजय प्राप्त करके लौटे थे इसलिए उत्तराखंड में इस विजयोत्सव को लोग इगास को दिवाली की तरह मानते हैं।  शुभ दि...

चलते जाना... Keep Going

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   चलते जाना... Keep Going/ Keep Walking     जिंदगी में कब क्या हो कुछ पता नहीं चलता और कई बार जब तक कुछ पता चले तब तक बहुत देर हो जाती है। बस इन्हीं सब के बीच पिछले ढाई तीन महीने बहुत अस्त व्यस्त से थे। डैडी के जाने के बाद ज्यादा कुछ समझ नहीं आ रहा था, मन भी अशांत सा था और दिमाग शून्य। इन सबके बीच जब कुछ समझ नहीं आया तो अकेले चलने लगी और जब चलना आरंभ किया तब समझ आया कि समय के साथ आगे बढ़ जाना चाहिए।     जहाँ अकारण चलना आरंभ किया था वो अब वॉक बन गई है तभी तो जहाँ शरीर भारी, मन अशांत और दिमाग शून्य सा था उसमें भी ठहराव आ गया है। अब शरीर और मन दोनों सकारात्मक ऊर्जा का आभास करते है। इसीलिए अब बस लगता है कि चलते जाना है न केवल स्वस्थ शरीर के लिए अपितु स्वस्थ मन के लिए भी। बिना किसी कारण के चलना आरंभ करने का सफर आज मुझे फिर से अपने से जोड़ रहा है शायद इसीलिए आज मुझे प्रतिदिन अपने लिए समय निकालकर एक से सवा घंटा चलना बहुत अच्छा लग रहा है।       अब इसे सैर कहिए, वॉक कहिए या चलना लेकिन अपने इस समय में लगभग 5 से 6 किल...