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Showing posts from November, 2021

दिवाली: मन के दीप

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दिवाली: मन के दीप   दिवाली एक ऐसा उत्सव है जब घर ही क्या हर गली मोहल्ले का कोना कोना जगमगा रहा होता है। ऐसा लगता है कि पूरा शहर ही रोशनी में डूबा हुआ है। लड़ियों की जगमगाहट हो या दीपों की टिमटिमाहट हर एक जगह सुंदर दिखाई देती है और हो भी क्यों न! जब त्यौहार ही रोशनी का है तो अंधेरे का क्या काम।         असल में दिवाली की सुंदरता तो हमारे मन की खुशियों से है क्योंकि रोशनी की ये किरणें केवल बाहर ही नहीं अपितु मन के कोने कोने में पहुंच कर मन के अंधेरों को दूर कर रही होती है। तभी तो दिवाली के दीपक मन के दीप होते हैं जो त्यौहार के आने पर स्वयं ही जल उठते है। दिवाली का समय ही ऐसा होता है कि जहां हम केवल दिवाली की तैयारी के लिए उत्सुक रहते है। यह तो त्योहारों का एक गुच्छा है जिसका आरंभ धनतेरस पर्व से होकर भाई दूज तक चलता है। ऐसे में हर दिन एक नई उमंग के साथ दिवाली के दीप जलते हैं।     ये दीपक नकारात्मकताओं को दूर कर हमें एक ऐसी राह दिखा रहे होते हैं जो सकारात्मकताओं से भरा हुआ होता है, जहां हम आशा और विश्वास की लौ जलाते हैं कि आने व...

सर्दियों में रखें सेहत का खास ख्याल!! (Healthcare in winters)

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सर्दियों में रखें सेहत का खास ख्याल!!    सर्दियों के मौसम का अपना अलग आनंद होता है। जहां हम तरह तरह के मौसमी फल और सब्जियों का आनंद लेते हैं वहीं सर्दियों की धूप अलग ही गर्माहट देती है। साथ ही सर्दियों में परिवार और दोस्तों के साथ तो घूमने का अपना अलग ही मजा होता है लेकिन इस मौसम के साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी थोड़ी बढ़ जाती है। सर्दी जुकाम, जकड़न या गले में खराश तो आम है लेकिन साथ ही अन्य रोग भी पैर पसारने लगते हैं इसलिए जाड़ों में मस्ती मजा के साथ उचित खान पान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से सर्दियों का आनंद दुगुना करें। - सर्दियां हैं तो खूब गाजर, टमाटर, पालक, मेथी, सरसों, नींबू अमरूद, पपीता और मेवा जैसी चीजें खाने में शामिल करें। मौसमी फल सब्जियां हमेशा शरीर को तंदुरुस्त बनाए रखती हैं। गाजर टमाटर चुकंदर का रस या सूप केवल सेहत ही नहीं सौंदर्य में भी चार चांद लगाता है। - सर्दियों में अमूमन आलस्य के कारण लोग अपनी कसरत या व्यायाम पर रोक लगा देते हैं जबकि इस मौसम में शरीर के अंगों को व्यायाम की आवश्यकता अधिक रहती है। काम से कम आधा घंटा व्यायाम नियमित ...

उत्तराखंड का लोक पर्व: इगास (पहाड़ी दिवाली)

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उत्तराखंड का लोक पर्व: इगास (पहाड़ी दिवाली)     शहरी दिवाली तो मना चुके हैं अब बारी है पहाड़ी इगास बग्वाल मनाने की। इगास का अर्थ है एकादशी। गढ़वाली में एकादशी को इगास कहा जाता है और बग्वाल को दिवाली। दिवाली के 11 दिन बाद आने वाली शुक्ल एकादशी को गढ़वाल में इगास का उत्सव होता है। उत्तराखंड का यह खास त्यौहार इगास भी प्रकाशपर्व है। जैसे दिवाली को दीपोत्सव माना जाता है वैसे ही इगास पहाड़ की दिवाली है इसलिए दीपक तो जलेंगे ही और पकवान भी बनेंगे ही। इगास क्यों मनाया जाता है  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटने की खबर गढ़वाल में 11 दिन बाद मिली इसी कारण से गढ़वाल में दिवाली 11 दिन बाद मनाई गई। वैसे कहा जाता है कि गढ़वाल में चार बग्वाल दिवाली होती है। पहली कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी फिर अमावस्या वाली बड़ी दिवाली जो पूरा देश मनाता है। इस दिवाली के 11 दिन बाद आती है इगास बग्वाल और चौथी बग्वाल बड़ी दिवाली के एक महीने बाद वाली अमावस्या को मनाते हैं। चौथी बग्वाल जौनपुर प्रतापनगर, रंवाई जैसे इलाकों में मनाई जात...