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Showing posts from November, 2021

शांत से विकराल होते पहाड़...

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शांत से विकराल होते पहाड़...   क्या हो गया है पहाड़ में?? शांत और स्थिरता के साथ खड़े पहाड़ों में इतनी उथल पुथल हो रही है कि लगता है पहाड़ दरक कर बस अब मैदान के साथ में समाने वाला है। क्या जम्मू, क्या उत्तराखंड और क्या हिमाचल! दोनों जगह एक सा हाल! कभी बादल फटने से तो कभी नदी के रौद्र् रूप ने तो कभी चट्टानों के टूटने या भू धंसाव से ऐसी तबाही हो रही है जिसे देखकर सभी का मन विचलित हो गया है। प्रकृति के विनाशकारी स्वरुप को देख कर मन भय और आतंक से भर गया है। इन्हें केवल आपदाओं के रूप में स्वीकार करना गलती है। असल में ये चेतावनी है और प्रकृति की इन चेतावनियों को समझना और स्वयं को संभालना दोनों जरूरी है।     ऐसा विकराल रूप देखकर सब जगह हाहाकार मच गया है कि कोई इसे कुदरत का कहर तो कोई प्रकृति का प्रलय तो कोई दैवीए आपदा कह रहा है लेकिन जिस तेजी के साथ ये घटनाएं बढ़ रही है उससे तो यह भली भांति समझा जा सकता है कि यह प्राकृतिक नहीं मानव निर्मित आपदाएं हैं जो प्राकृतिक रूप से बरस पड़ी हैं।    और यह कोई नई बात नहीं है बहुत पहले से कितने भू वैज्ञानिक, पर्यावरणविद और ...

सर्दियों में रखें सेहत का खास ख्याल!! (Healthcare in winters)

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सर्दियों में रखें सेहत का खास ख्याल!!    सर्दियों के मौसम का अपना अलग आनंद होता है। जहां हम तरह तरह के मौसमी फल और सब्जियों का आनंद लेते हैं वहीं सर्दियों की धूप अलग ही गर्माहट देती है। साथ ही सर्दियों में परिवार और दोस्तों के साथ तो घूमने का अपना अलग ही मजा होता है लेकिन इस मौसम के साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी थोड़ी बढ़ जाती है। सर्दी जुकाम, जकड़न या गले में खराश तो आम है लेकिन साथ ही अन्य रोग भी पैर पसारने लगते हैं इसलिए जाड़ों में मस्ती मजा के साथ उचित खान पान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से सर्दियों का आनंद दुगुना करें। - सर्दियां हैं तो खूब गाजर, टमाटर, पालक, मेथी, सरसों, नींबू अमरूद, पपीता और मेवा जैसी चीजें खाने में शामिल करें। मौसमी फल सब्जियां हमेशा शरीर को तंदुरुस्त बनाए रखती हैं। गाजर टमाटर चुकंदर का रस या सूप केवल सेहत ही नहीं सौंदर्य में भी चार चांद लगाता है। - सर्दियों में अमूमन आलस्य के कारण लोग अपनी कसरत या व्यायाम पर रोक लगा देते हैं जबकि इस मौसम में शरीर के अंगों को व्यायाम की आवश्यकता अधिक रहती है। काम से कम आधा घंटा व्यायाम नियमित ...

उत्तराखंड का लोक पर्व: इगास (पहाड़ी दिवाली)

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उत्तराखंड का लोक पर्व: इगास (पहाड़ी दिवाली)     शहरी दिवाली तो मना चुके हैं अब बारी है पहाड़ी इगास बग्वाल मनाने की। इगास का अर्थ है एकादशी। गढ़वाली में एकादशी को इगास कहा जाता है और बग्वाल को दिवाली। दिवाली के 11 दिन बाद आने वाली शुक्ल एकादशी को गढ़वाल में इगास का उत्सव होता है। उत्तराखंड का यह खास त्यौहार इगास भी प्रकाशपर्व है। जैसे दिवाली को दीपोत्सव माना जाता है वैसे ही इगास पहाड़ की दिवाली है इसलिए दीपक तो जलेंगे ही और पकवान भी बनेंगे ही। इगास क्यों मनाया जाता है  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटने की खबर गढ़वाल में 11 दिन बाद मिली इसी कारण से गढ़वाल में दिवाली 11 दिन बाद मनाई गई। वैसे कहा जाता है कि गढ़वाल में चार बग्वाल दिवाली होती है। पहली कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी फिर अमावस्या वाली बड़ी दिवाली जो पूरा देश मनाता है। इस दिवाली के 11 दिन बाद आती है इगास बग्वाल और चौथी बग्वाल बड़ी दिवाली के एक महीने बाद वाली अमावस्या को मनाते हैं। चौथी बग्वाल जौनपुर प्रतापनगर, रंवाई जैसे इलाकों में मनाई जात...