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Showing posts from November, 2021

International Women's Day

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस International Women's Day  सुन्दर नहीं सशक्त नारी  "चूड़ी, बिंदी, लाली, हार-श्रृंगार यही तो रूप है एक नारी का। इस श्रृंगार के साथ ही जिसकी सूरत चमकती हो और जो  गोरी उजली भी हो वही तो एक सुन्दर नारी है।"  कुछ ऐसा ही एक नारी के विषय में सोचा और समझा जाता है। समाज ने हमेशा से उसके रूप और रंग से उसे जाना है और उसी के अनुसार ही उसकी सुंदरता के मानक भी तय कर दिये हैं। जबकि आप कैसे दिखाई देते हैं  से आवश्यक है कि आप कैसे है!! ये अवश्य है कि श्रृंगार तो नारी के लिए ही बने हैं जो उसे सुन्दर दिखाते है लेकिन असल में नारी की सुंदरता उसके बाहरी श्रृंगार से कहीं अधिक उसके मन से होती है और हर एक नारी मन से सुन्दर होती है।  वही मन जो बचपन में निर्मल और चंचल होता है, यौवन में भावुक और उसके बाद सुकोमल भावनाओं का सागर बन जाता है।  इसी नारी में सौम्यता के गुणों के साथ साथ शक्ति का समावेश हो जाए तो तब वह केवल सुन्दर नहीं, एक सशक्त नारी भी है और इस नारी की शक्ति है ज्ञान। इसलिए श्रृंगार नहीं अपितु ज्ञान की शक्ति एक महिला को विशेष बनाती है।   ज्...

सर्दियों में रखें सेहत का खास ख्याल!! (Healthcare in winters)

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सर्दियों में रखें सेहत का खास ख्याल!!    सर्दियों के मौसम का अपना अलग आनंद होता है। जहां हम तरह तरह के मौसमी फल और सब्जियों का आनंद लेते हैं वहीं सर्दियों की धूप अलग ही गर्माहट देती है। साथ ही सर्दियों में परिवार और दोस्तों के साथ तो घूमने का अपना अलग ही मजा होता है लेकिन इस मौसम के साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी थोड़ी बढ़ जाती है। सर्दी जुकाम, जकड़न या गले में खराश तो आम है लेकिन साथ ही अन्य रोग भी पैर पसारने लगते हैं इसलिए जाड़ों में मस्ती मजा के साथ उचित खान पान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से सर्दियों का आनंद दुगुना करें। - सर्दियां हैं तो खूब गाजर, टमाटर, पालक, मेथी, सरसों, नींबू अमरूद, पपीता और मेवा जैसी चीजें खाने में शामिल करें। मौसमी फल सब्जियां हमेशा शरीर को तंदुरुस्त बनाए रखती हैं। गाजर टमाटर चुकंदर का रस या सूप केवल सेहत ही नहीं सौंदर्य में भी चार चांद लगाता है। - सर्दियों में अमूमन आलस्य के कारण लोग अपनी कसरत या व्यायाम पर रोक लगा देते हैं जबकि इस मौसम में शरीर के अंगों को व्यायाम की आवश्यकता अधिक रहती है। काम से कम आधा घंटा व्यायाम नियमित ...

उत्तराखंड का लोक पर्व: इगास (पहाड़ी दिवाली)

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उत्तराखंड का लोक पर्व: इगास (पहाड़ी दिवाली)     शहरी दिवाली तो मना चुके हैं अब बारी है पहाड़ी इगास बग्वाल मनाने की। इगास का अर्थ है एकादशी। गढ़वाली में एकादशी को इगास कहा जाता है और बग्वाल को दिवाली। दिवाली के 11 दिन बाद आने वाली शुक्ल एकादशी को गढ़वाल में इगास का उत्सव होता है। उत्तराखंड का यह खास त्यौहार इगास भी प्रकाशपर्व है। जैसे दिवाली को दीपोत्सव माना जाता है वैसे ही इगास पहाड़ की दिवाली है इसलिए दीपक तो जलेंगे ही और पकवान भी बनेंगे ही। इगास क्यों मनाया जाता है  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटने की खबर गढ़वाल में 11 दिन बाद मिली इसी कारण से गढ़वाल में दिवाली 11 दिन बाद मनाई गई। वैसे कहा जाता है कि गढ़वाल में चार बग्वाल दिवाली होती है। पहली कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी फिर अमावस्या वाली बड़ी दिवाली जो पूरा देश मनाता है। इस दिवाली के 11 दिन बाद आती है इगास बग्वाल और चौथी बग्वाल बड़ी दिवाली के एक महीने बाद वाली अमावस्या को मनाते हैं। चौथी बग्वाल जौनपुर प्रतापनगर, रंवाई जैसे इलाकों में मनाई जात...