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Showing posts from November, 2024

International Women's Day

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस International Women's Day  सुन्दर नहीं सशक्त नारी  "चूड़ी, बिंदी, लाली, हार-श्रृंगार यही तो रूप है एक नारी का। इस श्रृंगार के साथ ही जिसकी सूरत चमकती हो और जो  गोरी उजली भी हो वही तो एक सुन्दर नारी है।"  कुछ ऐसा ही एक नारी के विषय में सोचा और समझा जाता है। समाज ने हमेशा से उसके रूप और रंग से उसे जाना है और उसी के अनुसार ही उसकी सुंदरता के मानक भी तय कर दिये हैं। जबकि आप कैसे दिखाई देते हैं  से आवश्यक है कि आप कैसे है!! ये अवश्य है कि श्रृंगार तो नारी के लिए ही बने हैं जो उसे सुन्दर दिखाते है लेकिन असल में नारी की सुंदरता उसके बाहरी श्रृंगार से कहीं अधिक उसके मन से होती है और हर एक नारी मन से सुन्दर होती है।  वही मन जो बचपन में निर्मल और चंचल होता है, यौवन में भावुक और उसके बाद सुकोमल भावनाओं का सागर बन जाता है।  इसी नारी में सौम्यता के गुणों के साथ साथ शक्ति का समावेश हो जाए तो तब वह केवल सुन्दर नहीं, एक सशक्त नारी भी है और इस नारी की शक्ति है ज्ञान। इसलिए श्रृंगार नहीं अपितु ज्ञान की शक्ति एक महिला को विशेष बनाती है।   ज्...

इगास: उत्तराखंड की दिवाली (Igas: The Diwali of Uttarakhand)

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   इगास: उत्तराखंड की दिवाली  9 नवम्बर 2024 से उत्तराखंड की रजत जयंती वर्ष (25 वर्ष) का आरंभ हो रहा है। इस विशेष अवसर पर हम सिर्फ अपने राज्य की स्थापना का ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, सपनों और अटूट जज़्बे का जश्न मना रहे हैं। मन में उल्लास है और विश्वास भी कि उत्तराखंड विकास के पथ पर निरंतर अग्रसर रहेगा और अपनी अनोखी संस्कृति और परंपराओं को भी संरक्षित रखेगा। आआज का लेख इसी संस्कृति के साथ जुड़ा है, उत्तराखंड का लोकपर्व इगास।     अभी तो दिवाली समाप्त हुई है लेकिन उतराखंडियों के लिए दिवाली की जगमगाहट फिर से आ रही है। शुभ दिन, इगास के साथ।    नवरात्रि से शुभ दिनों का आगमन आरंभ हो जाता है। पहले माँ जगदंबा के दरबार में मन पवित्र होता है उसके बाद प्रभु राम का गुणगान। सच मानो तो त्योहारों की झड़ी लग जाती है और मन में खुशियोँ की फुलझड़ी तो जैसे कभी खत्म ही नहीं होती बस जगमगाती ही रहती है। ऐसे में लगता है कि दिवाली की खुशियाँ कभी समाप्त ही न हो।   जैसे कि दिवाली तो चली गई लेकिन इस फुलझड़ी की जगमगाहट उत्तराखंड में इगास तक रहती है। इगास उत्तराखं...