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Showing posts from August, 2024

चूरमा Mothers Day Special Short Story

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Mother's Day Special... Short Story (लघु कथा) चूरमा... क्या बात है यशोदा मौसी,, कल सुबह तो पापड़ सुखा रही थी और आज सुबह निम्बू का अचार भी बना कर तैयार कर दिया तुमने। अपनी झोली को भी कैरी से भर रखा है क्या?? लगता है अब तुम आम पन्ना की तैयारी कर रही हो?? (गीता ने अपने आंगन की दीवार से झाँकते हुए कहा)  यशोदा ने मुस्कुराते हुए गर्दन हिलाई । लेकिन मौसी आज तो मंगलवार है। आज तो घर से चूरमे की मीठी मीठी महक आनी चाहिए और तुम कैरी के व्यंजन बना रही हो। लगता है तुम भूल गई हो कि आज सत्संग का दिन है। अरे नहीं-नहीं, सब याद है मुझे।   तो फिर!! अकेली जान के लिए इतना सारा अचार-पापड़। लगता है आज शाम के सत्संग में आपके हाथ का बना स्वादिष्ट चूरमा नहीं यही अचार और पापड़ मिलेगे। धत्त पगली! "चूरमा नहीं,,,मेरे गोपाल का भोग!!" और सुन आज मै न जा पाउंगी सत्संग में।  क्या हुआ  मौसी?? सब खैरियत तो है। इतने बरसों में आपने कभी भी मंगल का सत्संग नहीं छोड़ा और न ही चूरमे का भोग। सब ठीक तो है न??   सब खैरियत से है गीता रानी, आज तो मै और भी ठीक हो गई हूँ। (यशोदा तो जैसे आज नई ऊर्जा से भर गई थी, ...

कान्हा से कृष्ण बने

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कान्हा से कृष्ण बने     Follow Krishna...Respect women    नटखट कान्हा को तो सभी प्रेम करते हैं। माखन खाते हुए, मोरपंख सजाते हुए, बंसी बजाते हुए या फिर ग्वाल बाल के साथ गइया चराते हुए । उनका हर बाल रूप दिव्य और अलौकिक है और उनकी बाल लीलाएं अद्भुत। उनका यही स्वरूप तो मन को मोह लेता है इसीलिए कान्हा को मनमोहन भी कहा जाता है। इसी मनमोहिनी छवि से प्रेरित प्रत्येक बाल मनमोहन लगता है इसीलिए जन्माष्टमी के अवसर पर बालक कान्हा बनते हैं और सभी से खूब लाड और प्यार पाते हैं।   मनमोहन का बाल स्वरूप आगे चलकर एक निष्काम कर्मयोगी का बनता है तो यही कान्हा हमारे पूजनीय कृष्ण बनते हैं और जो हमारे वंदनीय होते हैं उनका अनुसरण हमें करना ही चाहिए। जैसे हम बाल रूप में कान्हा बनते हैं तो उसी तरह से समय के साथ आगे बढ़कर हमें अपने कर्मपथ का कृष्ण बनना चाहिए। हमें कृष्ण बनना है,, स्त्री का सम्मान करना है... Follow Krishna: Give Respect to Woman    हमें वही कृष्ण बनना है जिन्होंने कर्म को ही सर्वोपरि माना इसलिए हमें भी अपने कर्म में निरंतर बढ़ते रहना चाहि...

शिव के प्रिय नंदी

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शिव के प्रिय नंदी  नंदी से नंदीश्वर बनने की कथा...    सावन माह में शिव और शिव से जुड़े सभी नाम आनंददायी हैं। शिव को भजने या पढ़ने से कल्पवृक्ष के फल के समान हितकारी है, ऐसा शिव पुराण में कथित है।   जहाँ शिव है वहाँ उनके प्रिय भी हैं क्योंकि शिव अपने प्रिय को कभी अकेला नहीं छोड़ते। शिव के भक्त और शिव के प्रिय शिवमयी होकर सीधे भगवान शिव के ह्रदय में स्थान पाते हैं। ऐसे ही शिव के परम प्रिय गण नंदी भी हैं जो हमेशा शिव के साथ रहते हैं। बिना शिव के नंदी नहीं मिलेंगे   आपने भी तो हर शिवालय में नंदी महाराज को देखा होगा जो उतने ही पूजनीय हैं जितने की शिव। उन्हीं नंदीश्वर प्रभु की कथा शिव पुराण (शतरुद्र संहिता) से...   नंदी कैसे बने शिव के प्रिय गण...  नंदी से नंदीश्वर बनने की कथा...     एक समय ब्रहमचारि मुनि शिलाद पुत्र की कामना हेतु भगवान शिव का ध्यान करने लगे और अपने कठिन तप से शिवलोक को प्राप्त हुए। तब देवराज इंद्र उनके तप से प्रसन्न होकर उन्हें वर मांगने के लिए कहा। तब मुनि शिलाद ने एक अयोनिज (जो गर्भ से पैदा न हो) औ...