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चूरमा Mothers Day Special Short Story

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Mother's Day Special... Short Story (लघु कथा) चूरमा... क्या बात है यशोदा मौसी,, कल सुबह तो पापड़ सुखा रही थी और आज सुबह निम्बू का अचार भी बना कर तैयार कर दिया तुमने। अपनी झोली को भी कैरी से भर रखा है क्या?? लगता है अब तुम आम पन्ना की तैयारी कर रही हो?? (गीता ने अपने आंगन की दीवार से झाँकते हुए कहा)  यशोदा ने मुस्कुराते हुए गर्दन हिलाई । लेकिन मौसी आज तो मंगलवार है। आज तो घर से चूरमे की मीठी मीठी महक आनी चाहिए और तुम कैरी के व्यंजन बना रही हो। लगता है तुम भूल गई हो कि आज सत्संग का दिन है। अरे नहीं-नहीं, सब याद है मुझे।   तो फिर!! अकेली जान के लिए इतना सारा अचार-पापड़। लगता है आज शाम के सत्संग में आपके हाथ का बना स्वादिष्ट चूरमा नहीं यही अचार और पापड़ मिलेगे। धत्त पगली! "चूरमा नहीं,,,मेरे गोपाल का भोग!!" और सुन आज मै न जा पाउंगी सत्संग में।  क्या हुआ  मौसी?? सब खैरियत तो है। इतने बरसों में आपने कभी भी मंगल का सत्संग नहीं छोड़ा और न ही चूरमे का भोग। सब ठीक तो है न??   सब खैरियत से है गीता रानी, आज तो मै और भी ठीक हो गई हूँ। (यशोदा तो जैसे आज नई ऊर्जा से भर गई थी, ...

योग: स्वयं और समाज के लिए

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योग: 'स्वयं और समाज के लिए योग'   आज योग शब्द से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है, इसके लाभ आज समस्त विश्व पूर्ण सहमति से मानता है इसीलिए इसके महत्व को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र के 177 देशों ने अपनी मुहर लगाई और 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का संकल्प लिया। योग के द्वारा स्वस्थ और संतुलित जीवन शैली अपनाने के लिए देश-दुनिया के लोग 21 जून को योग से जुड़ते हैं। योग सभी के लिए है। धर्म, जाति या लिंग के बंंधन से परे  यह आज के समय में सभी के लिए एक आवश्यक अभ्यास है क्योंकि इससे व्यक्तिगत विकास तो होता ही है साथ ही सामूहिक रूप से भी समाज में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसी को जानकर  संपूर्ण मानव जगत के कल्याण के लिए इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून 2024) का विषय (थीम) है, 'स्वयं और समाज के लिए योग' (Yoga for Self and Society) स्वयं और समाज के लिए योग    योग तो स्वयं अपने आप में एक वृहद विषय है जो केवल शारीरिक स्वास्थ्य को ही नहीं अपितु आंतरिक स्वास्थ्य पर भी केंद्रित है। योग एक कला है जिसके निरंतर अभ्यास से मानव का सर्वांगीण विकास ...