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Showing posts from March, 2024

International Women's Day

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस International Women's Day  सुन्दर नहीं सशक्त नारी  "चूड़ी, बिंदी, लाली, हार-श्रृंगार यही तो रूप है एक नारी का। इस श्रृंगार के साथ ही जिसकी सूरत चमकती हो और जो  गोरी उजली भी हो वही तो एक सुन्दर नारी है।"  कुछ ऐसा ही एक नारी के विषय में सोचा और समझा जाता है। समाज ने हमेशा से उसके रूप और रंग से उसे जाना है और उसी के अनुसार ही उसकी सुंदरता के मानक भी तय कर दिये हैं। जबकि आप कैसे दिखाई देते हैं  से आवश्यक है कि आप कैसे है!! ये अवश्य है कि श्रृंगार तो नारी के लिए ही बने हैं जो उसे सुन्दर दिखाते है लेकिन असल में नारी की सुंदरता उसके बाहरी श्रृंगार से कहीं अधिक उसके मन से होती है और हर एक नारी मन से सुन्दर होती है।  वही मन जो बचपन में निर्मल और चंचल होता है, यौवन में भावुक और उसके बाद सुकोमल भावनाओं का सागर बन जाता है।  इसी नारी में सौम्यता के गुणों के साथ साथ शक्ति का समावेश हो जाए तो तब वह केवल सुन्दर नहीं, एक सशक्त नारी भी है और इस नारी की शक्ति है ज्ञान। इसलिए श्रृंगार नहीं अपितु ज्ञान की शक्ति एक महिला को विशेष बनाती है।   ज्...

थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...

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 थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं...    जब सफर में दो बच्चे साथ हों तो रास्ता कितना भी लंबा हो उसका पता ही नहीं चलता वो भी भाई बहन क्योंकि उनके झगड़े, खींचतान, वाद विवाद सुलझाते सुलझाते आपकी मंजिल कब आ जाती है उसका पता ही नहीं चलता। ऐसा ही कुछ हाल हमारे साथ भी था क्योंकि मेरे दोनों बच्चे जिया और जय मेरे साथ एक छोटे से सफर में थे।    योजना तो पता नहीं कहाँ से आरम्भ हुई जो गोवा, दिल्ली, मथुरा, वृंदावन से होते होते अपने उत्तराखंड में ही समाप्त हुई क्योंकि इतने कम समय में सोचा कि थोड़ा कुमाऊँ घूम आते हैं। इसलिए मैं, विकास, माँ (सास जी) और दोनों बच्चे सभी एक साथ उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल के प्रसिद्ध स्थलों में से कुछेक का भ्रमण करने जा रहे थे।   वैसे सोचा था कि मार्च के अंतिम दिनों में घूमने जायेंगे, जब दोनों बच्चे वार्षिक परीक्षाओं के बाद अपनी नई कक्षाओं में जाने की तैयारी कर रहे हो लेकिन जब एक ही घर के दो बच्चे अलग अलग विद्यालय के छात्र हो तो कहीं न कहीं छुट्टियों के कैलेंडर का तालमेल गड़बड़ा ही जाता है। जैसे कि जिया की वार्षिक परिक्षाएँ तो समाप्त हो च...