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Showing posts from July, 2022

चूरमा Mothers Day Special Short Story

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Mother's Day Special... Short Story (लघु कथा) चूरमा... क्या बात है यशोदा मौसी,, कल सुबह तो पापड़ सुखा रही थी और आज सुबह निम्बू का अचार भी बना कर तैयार कर दिया तुमने। अपनी झोली को भी कैरी से भर रखा है क्या?? लगता है अब तुम आम पन्ना की तैयारी कर रही हो?? (गीता ने अपने आंगन की दीवार से झाँकते हुए कहा)  यशोदा ने मुस्कुराते हुए गर्दन हिलाई । लेकिन मौसी आज तो मंगलवार है। आज तो घर से चूरमे की मीठी मीठी महक आनी चाहिए और तुम कैरी के व्यंजन बना रही हो। लगता है तुम भूल गई हो कि आज सत्संग का दिन है। अरे नहीं-नहीं, सब याद है मुझे।   तो फिर!! अकेली जान के लिए इतना सारा अचार-पापड़। लगता है आज शाम के सत्संग में आपके हाथ का बना स्वादिष्ट चूरमा नहीं यही अचार और पापड़ मिलेगे। धत्त पगली! "चूरमा नहीं,,,मेरे गोपाल का भोग!!" और सुन आज मै न जा पाउंगी सत्संग में।  क्या हुआ  मौसी?? सब खैरियत तो है। इतने बरसों में आपने कभी भी मंगल का सत्संग नहीं छोड़ा और न ही चूरमे का भोग। सब ठीक तो है न??   सब खैरियत से है गीता रानी, आज तो मै और भी ठीक हो गई हूँ। (यशोदा तो जैसे आज नई ऊर्जा से भर गई थी, ...

सावन का भोला: कांवड़िया

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सावन का भोला: कांवड़िया         सावन का महिना चल रहा है और सभी अपने आराध्य भगवान शिव का सुमिरन कर रहे हैं। क्योंकि श्रावण मास आराध्य शिव को समर्पित है। इस मास में शिव की पूजा अर्चना अभिषेक का विशेष महातमय है यहाँ तक कि साधारण सा लगने वाला ओम नमः शिवाय का जाप भी कई गुना अधिक फलदायी होता है। तभी तो जिस भाँति धरती का कोना कोना इस माह में हरियाली से खिल उठता है ठीक उसी तरह गंगा तट और शिवालय भी भर जाता है केसरिया भोला से।        घर क्या और मंदिर क्या! सावन में तो गलियां चौक चौराहे से लेकर मुख्य सड़क तक सब जगह भोले ही भोले हैं. और ये जो भोले हैं न आपको पैदल जाते हुए भी मिलेंगे और ट्रक या ट्रक्टर ट्राली में सवार हुए या फिर भड़-भड़ करती मोटर साइकिल में. अब अगर आप हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून या उसके आस पास हैं तो आप अच्छे से समझ गए होंगे कि इस समय जो सड़क पर भोले हैं वो भगवान् शिव के भक्त कांवड़िये है।      वैसे शिवभक्त तो हम भी हैं लेकिन हमारी भक्ति घर और मंदिर तक ही सिमट कर रह जाती है वहीँ ये कांवड़िये सावन में अपनी शिवभक्ति नियम, धर...

बद्रीनाथ धाम: यात्रा वर्णन भाग 2

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    बरसात में बद्रीनाथ यात्रा        पिछले अंक में मैंने बताया था कि हम बद्रीनाथ जी के दर्शनों के लिए निकल चुके हैं और हमारे लिए इस धाम की यात्रा माँ धारी देवी के दर्शन आरती के बाद ही आरंभ होती है लेकिन हमेशा शांत और स्थिर रहने वाले ये  जड़वत पहाड़ भी बारिश के मौसम में दगा दे जाते हैं इसलिए जरा संभलकर...    धारी देवी के दर्शन हो चुके हैं और अब थोड़ा सकारात्मक भी सोच रहे है कि बद्रीनाथ धाम के दर्शन भी कर ही लेंगे। हम अब आगे की यात्रा खाँकरा वाले मार्ग से करेंगे क्योंकि पिछले अंक में बताया था कि धाम को जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग टूट गया है। मैंने इस से पहले कभी भी इस मार्ग पर यात्रा नहीं की थी। इसी मार्ग पर तो क्या धारी देवी से आगे में कभी बढ़ी ही नहीं थी इसलिए मेरे लिए यह एक नया अनुभव होने वाला था।    जिस मार्ग पर हम चल रहे थे वो रुद्रप्रयाग जाने का वैकल्पिक मार्ग था जो थोड़ा संकरा और लंबा भी है और साथ ही शायद बारिश के बाद थोड़ा और भी उबड़ खाबड़ हो गया था लेकिन फिर भी दिल को तस्सली दी क्योंकि हम यहाँ से कम स...

बद्रीनाथ धाम: यात्रा वर्णन

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बरसात में बद्रीनाथ यात्रा...     एक दिन में तीन तीन बार मौसम का हाल (weather forecast) देख चुकी हूँ और हर बार शंका होती है कि यात्रा पर जाना सही है या नहीं? क्योंकि मौसम विभाग कल से लेकर पूरे हफ्ते तक बारिश दिखा रहा है और वैसे भी मानसून आ गया है और ऐसे मौसम में दिमाग में बस यही चल रहा है,,,"बारिश के मौसम में जाना सही होगा!! " और जितनी बार अपने मन की बात विकास को बताऊँ उतनी बार बस एक ही जवाब मिले, " देखो कहाँ तक जाया जा सकता है। कल की कल देखते हैं। "    मेरे मन में तो बहुत कुछ चल रहा था क्योंकि मैं थोड़ा आगे पीछे देखकर, अपनी गणित करती रहती हूँ लेकिन विकास का कुछ अलग ही विश्वास है। उनके दिमाग में जो बैठ जाता है फिर उसके अलग जाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। उनको भगवान बद्रीनाथ जी के दर्शन करने थे और माँ को पवित्र धाम ले जाना था सो इसके अलग कुछ और दिमाग में था ही नहीं।    अगली सुबह जल्दी निकलना था क्योंकि बद्रीनाथ जी के दर्शन से पहले माँ धारी देवी के दर्शन और पूजा करनी थी। इसीलिए अलार्म तो लगा दिया लेकिन जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि कहीं भी जाना ह...